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आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए नाशाद आया
कितने भूले हुए जख़्मों ज़ख़्मों का पता याद आया
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने एहसान किए
पर जो मांगे माँगे से न पाया वो सिला याद आया
आज वह बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में यह हलकीहल्की-सी मुलाक़ात तो है
ग़ैर का हो के भी यह हुस्न मेरे साथ तो है
हाय ! किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया