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तुम्हें मेरी न मुझ को तुम्हारी ख़बर मेरा चैन गया मेरी नींद गई <br><br>
मेरी ज़ीस्त है मिस्ल-ए-चिराग़-ए-सहर मेरा चैन गया मेरी नींद गई<br><br>
कहता है यही रो -रो के "ज़फ़र" मेरी आह-ए-रसा का हुआ न असर <br>तेरी तेरे हिज्र में मौत न आई अभी मेरा चैन गया मेरी नींद गई<br><br>
यही कहना था शेरो शेरों के आज "ज़फ़र" मेरी आह-ए-रसा में हुआ न असर <br>तेरे हिज्र में मौत न आई मगर मेरा चैन गया मेरी नींद् नींद गई