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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=सुदर्शन फ़ाकिर]][[Category:कविताएँ]]}}
[[Category:गज़ल]]
[[Category: सुदर्शन फ़ाकिर]]<poem>दुनिया से वफ़ा करके सिला ढूँढ रहे हैं हम लोग भी नदाँ हैं ये क्या ढूँढ रहे हैं
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~कुछ देर ठहर जाईये बंदा-ए-इन्साफ़ हम अपने गुनाहों में ख़ता ढूँढ रहे हैं
दुनिया से ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा करके सिला ढूँढ रहे हैं <br>हूँ हम क्यूँ लोग भी नदाँ हैं ये क्या मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं<br><br>
कुछ देर ठहर जाईये बंदा-ए-इन्साफ़ <br>हम अपने गुनाहों में ख़ता ढूँढ रहे हैं <br><br> ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ <br>क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं <br><br> दुनिया की तमन्ना थी कभी हम को भी 'फ़ाकिर'<br> अब ज़ख़्म-ए-तमन्ना की दवा ढूँढ रहे हैं <br><br/poem>
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