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रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 8

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|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'"|संग्रह= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
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किन्तु, पाँव के हिलते ही गुरुवर की नींद उचट जाती,
ब्राह्मण है या और किसी अभिजन का पुत्र बली है तू?
 
 
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