भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> निवाला ====== माँ है रेशम के क...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
<poem>

निवाला
======

माँ है रेशम के कारख़ाने में
बाप मसरूफ़१ सूति मिल में है
कोख से माँ की जब से निकला है
बच्चा खोली के काले दिल में है
जब यहाँ से निकल के जाएगा
कारख़ानों के काम आएगा
अपने मजबूर पेट की ख़ातिर
भूक सरमाए की बढ़ाएगा
हाथ सोने के फूल उगलेंगे
जिस्म चाँदी का धन लुटाएगा
खिड़कियाँ होंगी बैंक की रौशन
ख़ून उसका दिये जलाएगा
यह जो नन्हा है भोला-भाला है
सिर्फ़ सरमाये का निवाला है
पूछती है यह उसकी ख़ामोशी
कोई मुझको बचाने वाला है
<poem>