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Kavita Kosh से
जो इक कुबड़ी सी शीशी के<br>
सीने पे लिखे हुए<br>
इक -इक हर्फ़ को ग़ौर से पढ़ रहा है<br>
मगर इस पे तो ज़हर लिखा हुआ है<br>
इस इन्सान को क्या मर्ज़ है<br>
ये कैसी दवा है<br><br>