भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नया अमृत / शहरयार

No change in size, 18:16, 29 मई 2009
जो इक कुबड़ी सी शीशी के<br>
सीने पे लिखे हुए<br>
इक -इक हर्फ़ को ग़ौर से पढ़ रहा है<br>
मगर इस पे तो ज़हर लिखा हुआ है<br>
इस इन्सान को क्या मर्ज़ है<br>
ये कैसी दवा है<br><br>
Mover, Uploader
752
edits