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साँप सुसील दयाजुत नाहर काक पवित्र औ साँचो जुआरी ।
पावक सीतल पाहन कोमल रैन अमावस की उजियारी ।
कायर धीर सती गनिका मतवारो कहा मत वारो अनारी ।
मोतिय राम बिचारि कहैँ नहिँ देखी सुनी नरनाह की यारी ।
'''मोती राम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
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