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मंज़र दिल-ओ-निगाह के जब हो गये उदास <br>
ये बे-फ़ज़ा इलाक़ा-ओ-तन मुझ से चीन छीन ले <br><br>
गुलरेज़ मेरी नालाकशी से है शाख़ -शाख़ <br>
गुलचीँ का बस चले तो ये फ़न मुझ से छीन ले <br><br>
सींची हैं दिल के ख़ून से मैं ने ये क्यारियाँ <br>
किस की मजाल मेरा चमन मुझ से छीन ले <br><br>
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