भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|भाषा=राजस्थानी
}}
<poem>
रणुबाई रणुबाई रथ सिनगारियो तो
को तो दादाजी हम गोरा घर जांवा
चिकनी सिल्ला देखी न पाँव मती धरजो
पराया पुरुष देखनी हसी मती करजो
</poem>