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Kavita Kosh से
अश्क आंखों में कब नहीं आता
लहू आता है जब नहीं आता आता।
होश जाता नहीं रहा लेकिन
जब वो आता है तब नहीं आता आता।
दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश
गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आताआता।
इश्क का हौसला है शर्त वरना
बात का किस को धब नहीं आता आता।
जी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदम
हर सुखन ता-बबा-लब नहीं आताआता।