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कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥
इसे कहते हैं खूबी हम तो इस खूबी के क़ायल हैं।
हुआ जब ज़िक्र यकताई का, नाम आया वहीं तेरा॥
बहुत सरगोशियाँ<ref>कानाफूसी</ref> करने लगे रस्ते में अब रहबर<ref>पथ-प्रदर्शक</ref>!
बहुत चर्चा है बाज़ारों में ऐ ख़िलवतनशीं<ref>एकांत में रहनेवाले</ref> तेरा॥
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