भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कहीं पाया न ठिकाना तेरे दीवाने का
हर नफ़स उमरे गुज़िश्ता की है मय्य्त मय्यत फ़ानी
ज़िन्दगी नाम है मर मर के जिये जाने का
</poem>