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|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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ख़ुदा से मिल गया है हुस्ने-क़ाफ़िर।
ख़ुदाई पर हुकूमत हो रही है॥

अभी तक महशरे-इन्सानियत में।
तलाशे-आदमीयत हो रही है॥

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