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|रचनाकार=सीमाब अकबराबादी
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}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>

ख़ामोश हूँ मुद्दत से नाले हैं न आहें हैं।
मेरी ही तरफ़ फिर भी दुनिया की निगाहें हैं॥

‘सीमाब’ गुज़रगाहे-उल्फ़त को भी देख आये।
बिगडे हुए रस्ते हैं, उलझी हुई राहें हैं॥

</poem>