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<div class='boxheader' style='background-color:#336699; color:#ffffff'>''' रेखांकित रचनाकार'''</div>
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<tr><td colspan=2>[[चित्र:Leave-48x48.png]] <font size=4>रेखांकित रचनाकार</font></td></tr><tr><td valign=top>[[चित्र:Sudama_pandey_dhoomilSurdas.jpg|50px70px|right]]</td>
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हिन्ढी साहित्य में कृष्ण-भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में '''महाकवि [[धूमिल| धूमिलसूरदास]]''' का नाम अग्रणी है। उनका जन्म 9 नवंबर 1936 को बनारस १४७८ ईस्वी में मथुरा आगरा मार्ग के खेवली किनारे स्थित रुनकता नामक गांव में हुआ था। इनका जन्म नाम सुदामा पाण्डेय था। साठोत्तरी कविता हुआ। सूरदास के शलाका पुरुष धूमिल अपने बागी तेवर पिता रामदास गायक थे। सूरदास के लिए जाने जाते हैं। जन्मांध होने के विषया में मतभेद है। प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। अष्टछाप कवियों में एक । सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में १५८० ईस्वी में हुई।
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