भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} <poem>ऊँची सफ़ेद बर्फीली पहाडियां धर...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरकीरत हकीर
}}
<poem>ऊँची सफ़ेद बर्फीली पहाडियां
धरती के स्वर्ग कश्मीर की वादियाँ
आज हैं रक्त-रंजित
तोपों के धमाकों से
थर्रा रही.....
खौफ़ और आग का धुंआ बना
इक कहानी तवारिख की ....

दुल्हन की तरह सजे शिकारे
सैलानियों को लेकर
जो डल झील थी इतराती
आज पत्ती-पत्ती, हर शाख़
है खौफज़दा .....
जो सरज़मीं कश्मीर की
जन्नत की तस्वीर थी
है वहाँ सन्नाटा
महक है चरों तरफ़
बारूद की .......

मौन, निशब्द
शालीमार और गुलमर्ग
दर्द से कराहते
कह रहे हैं दास्तां
सैकड़ों मारे गए बेगुनाह
वतन परस्तों की ....

मेरी दुआ
तेरे रख्शे करम
अए वीर जवानों
मेरे हिस्से की चंद खुशियाँ भी
तुझे मयस्सर
रखा चूम कर फूल
तेरे क़दमों पे
भुला न पाएंगे शहादत
तेरी जवानी की ......!!!!
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits