भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[थमो-थमो कि इस उजडे़ मकाँ का था यह चराग़ / सफ़ी लखनवी]]
*[[नज़र हुस्न-आश्ना ठहरी वो खिलवत हो कि जलवत हो / सफ़ी लखनवी]]
*[[क़त’आत / सफ़ी लखनवी]]