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Kavita Kosh से
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चाँद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिये <br>हर तरफ़ आप का जगह आपका क़िस्सा हैं जहाँ से सुनिये
सबको आता नहीं दुनिया को सजाकर जीना <br>
ज़िन्दगी क्या हैं मुहब्बत की ज़बां से सुनिये
मेरी आवाज़ ही पर्दा हैं मेरे चेहरे का <br>
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ , मुझको वहाँ से सुनिये
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