गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त! घबराता हूँ मैं / जिगर मुरादाबादी
3 bytes added
,
10:13, 27 अगस्त 2009
जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ मैं॥
कूए
कू-ए
-जानाँ की हवा तक से भी थर्राता हूँ मैं।
क्या करूँ बेअख़्तयाराना चला जाता हूँ मैं॥
मेरी हस्ती
शौक़ेपैहम
शौक़-ए-पैहम
, मेरी फ़ितरत इज़्तराब।
कोई मंज़िल हो मगर गुज़रा चला जाता हूँ मैं॥
</poem>
Thevoyager
25
edits