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हर दिल अजीज 'खुमार बाराबंकवी' को वर्ष 1942-43 में प्रख्यात फिल्म निर्देशक एआर अख्तर ने मुम्बई बुला लिया। यहां से शुरू हुआ उनका फिल्मी सफर और वे फिल्मी दुनिया में एक सफल गीतकार के रूप में जुड़ गये।
आपने 1955 में फिल्म "रुखसाना" के लिये"शकील बदायूँनी" के साथ गाने लिखे थे। उससे पहले 1946 में फिल्म "शहंशाह " के एक गीत "चाह बरबाद करेगी" को "खुमार" साहब ने हीं लिखा था, जिसे संगीत से सजाया था "नौशाद" ने और अपनी आवाज़ दी थी गायकी के बेताज बादशाह "के०एल०सहगल" साहब ने |
फिल्म 'बारादरी' के लिये लिखा गया उनका यह गीत 'तस्वीर बनाता हूं, तस्वीर नहीं बनती', 'भुला नहीं देना', आज भी लोगों के दिलों में बसा है। उन्होंने तमाम फिल्मों के लिये 'अपने किये पे कोई परेशान हो गया', 'एक दिल और तलबगार है बहुत', 'दिल की महफिल सजी है चले आइये', 'साज हो तुम आवाज हूं मैं', 'दर्द भरा दिल भर-भर आये', 'आग लग जाये इस जिन्दगी को, मोहब्बत की बस इतनी दास्तां है', 'आई बैरन बयार, कियो सोलह सिंगार', जैसे गीत लिखे खासे लोकप्रिय हुये।