भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोक कविता / सुदर्शन वशिष्ठ

1,581 bytes added, 20:58, 31 अगस्त 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ |संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ }} <...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ
|संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ
}}
<poem>देख देख विहँसता है गद्दी
तेरे मत्थे दा बिन्दला
तेरे नक्के दा बालू
देख देख विहंसता है गद्दी

बिंदास गद्दण
मेमने सी कोमल
नरम,निरीह अबोध
स्नेहिल शर्मीली सपनीली
चंदास गद्दण
देख देख विहँसता है गद्दी।

केवल एक आवाज़--
एक आवाज़ से डरता है गद्दी
बाघ से नहीं डरता
रीछ से नहीं डरता
मीह से नहीं डरता
पाणी से नहीं डरता है


एक आवाज़--
आवाज़,मोटर की है
ट्रक की है
कार की है
सूट बूट की झंकार की है।

क्या कोई ट्रक मेमनों को रगड़ गया
कोई बाबू गद्द्ण से उलझ गया
एक आवाज़--
बजा बाजा
क्या दावत के लिए
कारों का काफिला सजा!
या आया तो नही है कहीं
लश्कर सहित शिकारी राजा!
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits