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मैं तलखि़ये हयात से घबरा के पी गया
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
इतनी दकिक शे कोई कैसे समझ सके
यज़दां के वाकियात से घबरा के पी गया
ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया
इतनी दकिक शे कोई कैसे समझ सके
यज़दां के वाकियात से घबरा के पी गया