भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज कुमार झा }} <poem> देह छूकर कहा तूने हम साथ पार ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज कुमार झा
}}
<poem>
देह छूकर कहा तूने
हम साथ पार करेंगे हर जंगल
मैं अब भी खडा हूं वहीं पीपल के नीचे
जहां कोयल के कंठ में कांपता है पत्तों का पानी।
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज कुमार झा
}}
<poem>
देह छूकर कहा तूने
हम साथ पार करेंगे हर जंगल
मैं अब भी खडा हूं वहीं पीपल के नीचे
जहां कोयल के कंठ में कांपता है पत्तों का पानी।