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Kavita Kosh से
बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला,<br>
पी लेने पर तो उसके मँह मुँह पर पड़ जाएगा ताला,<br>
दास द्रोहियों दोनों में है जीत सुरा की, प्याले की,<br>
विश्वविजयिनी बनकर जग में आई मेरी मधुशाला।।२४।<br><br>