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Kavita Kosh से
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उसका बचपन,
उसके यौवन का,
सामर्थ्य नही|
हठ, आगे बढ़ने का,
निश्चय, न रुकने का,
जीवन है उसका,
पर्वतों को भेदना,
निगलना मैदानो को,
उसका प्रवाह,
सामर्थ्य है उसका |
सिन्धु की तृप्ति,
बागीचे नही,
वनों को सींचती है,
उसकी क्षमता |
नदी का उदगम,
सामर्थ्य नही उसका |
---मृणाल शर्मा
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