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अन्वेषण / रामनरेश त्रिपाठी

No change in size, 07:41, 9 सितम्बर 2009
क्रीसस की 'हाय' में था, करता विनोद तू ही।<br>
तू अंत में हंसा था, महमुद महमूद के रुदन में॥<br><br>
प्रहलाद जानता था, तेरा सही ठिकाना।<br>
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