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जो हवा में है / उमाशंकर तिवारी

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|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चनउमाशंकर तिवारी
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जो हवा में है, लहर में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है
शाम कन्धे पर लिये अपने
जिन्दगी के रू ब रू चलना
रोशनी का हमसफर होना
उम्र की कन्दील क जलना
आग जो जलते सफ़र में है
क्यों नहीं वह बात मुझमें है।
 </poetpoem>
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