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मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा

66 bytes added, 08:21, 11 सितम्बर 2009
मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा ।।<br />आसन मारि मंदिर में बैठे,<br />ब्रम्ह-छाँड़ि पूजन लगे पथरा ।।<br />कनवा फड़ाय जटवा बढ़ौले,<br />दाढ़ी बाढ़ाय जोगी होई गेलें बकरा ।।<br />जंगल जाये जोगी धुनिया रमौले<br />काम जराए जोगी होए गैले हिजड़ा ।।<br />मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ो रंगौले,<br />गीता बाँच के होय गैले लबरा ।।<br />कहहिं कबीर सुनो भाई साधो,<br />जम दरवजवा बाँधल जैबे पकड़ा ।।<br />
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