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शिकारी / अवतार एनगिल

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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल; तीन डग कविता /अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कैप्टन देवदत्त और मेजॅर सिद्धर्थ सिद्धार्थ
दोनो चचेरे भाई
जब भी शिकार पर जाते हैं
तृप्त अभिजात्य मुस्कान सहेज
मेजॅर देवदत्त
कैप्टन सिद्धर्थ सिद्धार्थ के कंधे पर हाथ धरते हैंफिक्रमंद सिद्धर्थ सिद्धार्थ
एक ठण्डी साँस भरते हैं
उनके नये इम्पोर्टिंग रोस्टर की