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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल }} <poem>...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
<poem>जिस दिन
तुमने कहा:
यह रास्ता
जिसमें चढ़ाई बहुत कम है
पर है लगातार
बहुत तंग करता है
उस दिन
मुझे लगा
रास्ता बहुत छोटा है
रात को बिस्तर पर पहुँचते ही
मैंने सोचाः
कितना मतलबी होता है आदमी
जिस दिन
तुम गए
वही रस्ता
जिसमें चढ़ाई बहुत कम है
पर है लगातार
मुझे
अपनी उम्र से बड़ा लगा
उस रात
तकिए पर सिर टिकाते ही
मैंने सोचा
कितना छोटा होता है आदमी।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल
}}
<poem>जिस दिन
तुमने कहा:
यह रास्ता
जिसमें चढ़ाई बहुत कम है
पर है लगातार
बहुत तंग करता है
उस दिन
मुझे लगा
रास्ता बहुत छोटा है
रात को बिस्तर पर पहुँचते ही
मैंने सोचाः
कितना मतलबी होता है आदमी
जिस दिन
तुम गए
वही रस्ता
जिसमें चढ़ाई बहुत कम है
पर है लगातार
मुझे
अपनी उम्र से बड़ा लगा
उस रात
तकिए पर सिर टिकाते ही
मैंने सोचा
कितना छोटा होता है आदमी।
</poem>