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Kavita Kosh से
फिर-फिर!<br>
बार-बार गर्जन<br>
वर्षण है मूसलाधारमूसलधार,<br>
हृदय थाम लेता संसार,<br>
सुन-सुन घोर वज्र हुँकार।<br>
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