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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अकबर इलाहाबादी
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एक बूढ़ा नहीफ़-ओ-खस्ता दराज़
पहुँचोगे मेरी उम्र को जिस आन
मुफ़्त में मिल जाएगी तुम्हें ये कमान
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