भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }} <poem> '''1''' मुस्कान.. जैसे.. तपत...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>
'''1'''
मुस्कान..
जैसे..
तपते मरुथल मन
पर घिरती
शीतल सी छाया !
'''2'''
मुस्कान..
जैसे..
नवजात की पहली
दंत पंक्ति
'''3'''
मुस्कान..
जैसे..
बिन कहे ही
कह दी हो
सब बात ...
'''4'''
मुस्कान ...
जैसे ....
पतझड़ के बाद
खिले वसन्त
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>
'''1'''
मुस्कान..
जैसे..
तपते मरुथल मन
पर घिरती
शीतल सी छाया !
'''2'''
मुस्कान..
जैसे..
नवजात की पहली
दंत पंक्ति
'''3'''
मुस्कान..
जैसे..
बिन कहे ही
कह दी हो
सब बात ...
'''4'''
मुस्कान ...
जैसे ....
पतझड़ के बाद
खिले वसन्त
</poem>