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सोचा करता बैठ अकेले,<br>
गत जीवन के सुख-दुख झेले,<br>
दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले सलाता सहलाता हूँ!<br>
ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!<br><br>
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