भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: <poem>तेरे होने के एहसास ही देता ह दो पल की ख़ुशियाँ मुझको तेरे होने स...
<poem>तेरे होने के एहसास ही देता ह
दो पल की ख़ुशियाँ मुझको
तेरे होने से मुझे अपने
दर्द की छावं का एहसास नही होता
अपने यह ग़म तुझे दे कर
क्यों तुझे भी मैं ग़मगीन बना दूं
कैसे अपनी पलको के आँसू
मैं तेरी पलको में सज़ा दूं ........


देखा जिस पल तुमने मुझको
प्यार की एक नज़र से
मेरी रूह का हर कोना
तेरे होने से ही तो महका है
जो भी अब ख़ुशी है मेरे दामन में
वो तेरे होने से है
कैसे अपने दर्द से

मैं तेरा भी दामन सज़ा दूं
कैसे अपनी पलको के आँसू
मैं तेरी पलको में सज़ा दूं .........

तेरे प्यार के नूर से मिलता है
सकुन मेरी रूह को
तेरे एक पल के छुने से
मेरे लबो पर तबसुम्म खिल जाता है
कैसे तेरी गुज़ारिश पर
तुझे भी मैं अपने दर्द का कोई सिला दूं
अपने मिले इन प्यार के पलो को
क्यों दर्द के साए से मिला दूं
कैसे तेरी पलको में
अपने दर्द के आँसू में सज़ा दूं ...
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits