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|रचनाकार=त्रिलोचनप्राण शर्मा
|संग्रह=सुराही / प्राण शर्मा
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<poem> १
फ़र्क़ नहीं पड़ता मन्दिर या मधुशाला हो
चरणामृत हो या अंगूरों की हाला हो