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Kavita Kosh से
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:तनिक देर और आसपास रहें
:::चुप रहें, उदास रहें,
जाने फिर कैसी हो जाए यह शाम।
:डूब रहा सभी कुछ अन्धेरे में
:::चुप्पी के घेरे में
पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला कुहराम।
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