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जो दर्द छुपा के हंस दे हम
अश्कों अश्क़ों से हुई गद्दारी क्या
हंस के जो मिलो सोचे दुनिया
बातें तो कहे सच्ची "श्रद्धा"
वे सोचे, मीठी खारी ख़ारी क्या </poem>
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