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सदस्य वार्ता:Amitabh

464 bytes added, 15:45, 24 सितम्बर 2009
/* इसमें अनडू की भी व्यवस्था करें */
एक ग़ज़ल पूरी टाइप करने के बाद उसे सेव भी कर लिया था लेकिन शीर्षक में कुछ त्रटि थी उसे दूर करने के लिये वहाँ पर सुधार कर सेहेजा तो पूरी गज़ल ही गायब हो गयी और शीर्षक प्रदर्शित करने लगा कि यह पन्ना अभी बना नही है। लगता है अब ऑफलाइन ही टाइप करके जोड़ना पड़ेगा।
सादर
अमित
बाद में मैने अपने योगदान में देखा तो पुराना उद्धरण पूरा का पूरा पड़ा था जिसे मैंने तुरन्त कॉपी कर लिया और पेस्ट कर दिया। श्रम तो बच गया लेकिन यह गड़बड़झाला समझ में नहीं आया।
अमित
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