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बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।<br><br>
वीर शिवाजी की गाथायें उसकी उसको याद ज़बानी थी,<br>
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,<br>
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।<br><br>
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार।<br><br>
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,<br>
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।<br><br>
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