भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार।<br><br>
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,<br>
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।<br><br>