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नहीं चाहते जब हम दु:ख के बदले चिर सुख भी!
साथी साथ ना देगा दु:ख भी!
 
जब परवशता का कर अनुभव
उसी विवशता से दुनिया में होना पडता है हंसमुख भी!
साथी साथ ना देगा दु:ख भी!<br>
 
इसे कहूं कर्तव्य-सुघरता
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