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Kavita Kosh से
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
उस सीमा-रेखा पर
जिसके ओर न छोर निशानी; मचलमत, दूर-दूर, ओ मानी !
घास-पात से बनी वहीं
मेरी कुटिया मस्तानी,