भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>प्राण! तुम लघु लघु गात!<br>नील नभ के निकुंज में लीन,<br>नित्य नीरव, नि:संग नवीन,<br>निखिल छवि की छवि! तुम छवि हीन<br>अप्सरी-सी अज्ञात!<br><br>
अधर मर्मरयुत, पुलकित अंग<br>चूमती चलपद चपल तरंग,<br>चटकतीं कलियाँ पा भ्रू-भंग<br>थिरकते तृण; तरु-पात!<br><br>
हरित-द्युति चंचल अंचल छोर<br>सजल छवि, नील कंचु, तन गौर,<br>चूर्ण कच, साँस सुगंध झकोर,<br>परों में सांय-प्रात!<br><br>
विश्व हृत शतदल निभृत निवास,<br>अहिर्निशि जग-जीवन-हास-विलास,<br>अदृश्य, अस्पृश्य अजात! <br><br/poem>