भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सर पर ज़मीन लेके हवाओं के साथ जा
आहिस्ता चलने वाले की बारी न जायेगी आएगी
पहचान हमने अपनी मिटाई है इस तरह
बच्चों में कोई बात हमारी न आएगी
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits