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Kavita Kosh से
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== धूप सा तन दीप सी मैं! ==
धूप सा तन दीप सी मैं!,<br>
उड़ रहा नित एक सौरभ-धूम-लेखा में बिखर तन,<br>
खो रहा निज को अथक आलोक-सांसों में पिघल मन<br>
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