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|संग्रह=जय बोलो बेईमान की / काका हाथरसी
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जय उल्लू पापा ! ओम् जय उल्लू पापा।
सब पक्षिन में श्रेष्ठ, अर्थ के फीते से नापा। ओम्...।
जय उल्लू पापा ! ओम् जय उल्लू पापा। <br>श्याम सलोने मुख पर शोभित अँखियाँ द्वय ऐसे। सब पक्षिन में श्रेष्ठ, अर्थ के फीते से नापा। चिपक रहीं प्राचीन चवन्नी चाँदी की जैसे। ओम्...।<br><br>
श्याम सलोने मुख पर शोभित अँखियाँ द्वय ऐसे। <br>लक्ष्मी-वाहक दरिद्र-नाशक महिमा जगजानी।चिपक रहीं प्राचीन चवन्नी चाँदी की जैसे। सरस्वती का हंस आपका भरता है पानी। ओम्...।<br><br>
लक्ष्मी-वाहक दरिद्र-नाशक महिमा जगजानी।<br>अर्थवाद ने बुद्धिवाद के दाँत किए खट्टे।सरस्वती का हंस आपका भरता है पानी। विद्वज्जन हैं दुखी, सुखी हैं सब ‘तुम्हरे पट्ठे’। ओम्...।<br><br>
अर्थवाद ने बुद्धिवाद के दाँत किए खट्टे।<br>जब ‘पक्षी-सरकार’ बने तुम डबल सीट पाओ।विद्वज्जन हैं दुखी, सुखी हैं सब ‘तुम्हरे पट्ठे’। प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री खुद बन जाओ। ओम्...।<br><br>
जब ‘पक्षीसभी लखपती बनें, न हो कोई भूखा-सरकार’ बने तुम डबल सीट पाओ।<br>नंगा।प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री खुद बन जाओ। बहे देश के गाँव-गाँव में, नोटों की गंगा। ओम्...।<br><br>
सभी लखपती बनें, न हो कोई भूखा-नंगा। <br>पूँजीवादी पक्षी तुम सम और नहीं दूजा। बहे देश के गाँव-गाँव मेंवित्तमंत्री, नोटों की गंगा। नित्य आपकी करते हैं पूजा। ओम्...।<br><br>
पूँजीवादी पक्षी तुम सम और नहीं दूजा। <br>वित्तमंत्री, नित्य आपकी करते हैं पूजा। ओम्...।<br><br> उल्लू जी की आरति यदि राजा-रानी गाते। <br>
‘काका’ उनके प्रिवीपर्स छिनने से बच जाते। ओम्...।
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