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काका के हँसगुल्ले / काका हाथरसी

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|संग्रह=काका तरंग / काका हाथरसी
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अंग-अंग फड़कन लगे, देखा ‘रंग-तरंग’
स्वस्थ-मस्त दर्शक हुए, तन-मन उठी उमंग
तन-मन उठी उमंग, अधूरी रही पिपासा
बंद सीरियल किया, नहीं थी ऐसी आशा
हास्य-व्यंग्य के रसिक समर्थक कहाँ खो गए
मुँह पर लागी सील, बंद कहकहे हो गए
अंग-अंग फड़कन लगे, देखा ‘रंग-तरंग’<br>स्वस्थ-मस्त दर्शक हुए, तन-मन उठी उमंग<br>तन-मन उठी उमंग, अधूरी रही पिपासा<br>बंद सीरियल किया, नहीं थी ऐसी आशा<br>हास्य-व्यंग्य के रसिक समर्थक कहाँ खो गए<br>मुँह पर लागी सील, बंद कहकहे हो गए<br><br> जिन मनहूसों को नहीं आती हँसी पसंद<br>हुए उन्हीं की कृपा से, हास्य-सीरियल बंद<br>हास्य-सीरियल बंद, लोकप्रिय थे यह ऐसे<br>श्री रामायण और महाभारत थे जैसे<br>भूल जाउ, लड्डू पेड़ा चमचम रसगुल्ले<br>
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