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<tr><td colspan=2>[[चित्र:Leave-48x48.png]]&nbsp;&nbsp;<font size=4>रेखांकित रचनाकार</font></td></tr>
<tr><td>[[चित्र:SurdasAhmed_faraz.jpg|70px|right]]</td>
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हिन्ढी साहित्य में कृष्ण-भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में '''महाकवि [[सूरदासअहमद फ़राज़]]''' का (१४ जनवरी १९३१- २५ अगस्त २००८), असली नाम अग्रणी है। उनका सैयद अहमद शाह, का जन्म १४७८ ईस्वी में मथुरा आगरा मार्ग पाकिस्तान के किनारे स्थित रुनकता नामक गांव नौशेरां शहर में हुआ। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने हुआ था। वे आधुनिक उर्दू के विषया सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में मतभेद है। प्रारंभ गिने जाते हैं। उन्होंने पेशावर यूनिवर्सिटी में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई फ़ारसी और उर्दू विषय का अध्ययन किया था। बाद में वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य वहीं प्राध्यापक भी हो गए थे। अहमद फ़राज़ ने उनको पुष्टिमार्ग रेडियो पाकिस्तान में दीक्षित कर नौकरी की और फिर अध्यापन से भी जुड़े। वे १९७६ में पाकिस्तान एकेडमी ऑफ लेटर्स के कृष्णलीला डायरेक्टर जनरल और फिर उसी एकेडमी के पद गाने का आदेश दिया। अष्टछाप कवियों चेयरमैन भी बने। २००४ में एक। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन पाकिस्तान सरकार ने उन्हें हिलाल-ए-इम्तियाज़ पुरस्कार से अलंकृत किया। वे अपने समय के निकट पारसौली ग्राम में १५८० ईस्वी में हुई।गालिब कहलाए।
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