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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अज्ञेय
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अरे भैया, पंडिज्जी ने पोथी बन्द कर दी है।
पंडिज्जी ने चश्मा उतार लिया है
पंडिज्जी
फ़कत आदमी हैं।
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